Stop-Ur time starts here - Enjoy reading

Pages

RSS

Welcome to my Blog
Hope you enjoy reading.

Monday, March 28, 2011

जल और जलन - Dr Nutan Gairola



जंजाल जी का जबसे जाना मुझे जंजल,
जड़ता से तेरी जला जी का जंगल |
जल कर हम तब जलाशय पर गिरे,
जलन ना गयी जलजला आ गया|
जल में खिले जलज सब जले,
जिया जल का जला, जल, जलजल गया|
जलद उठे जलप्रपात बहे,
अश्रुजलविप्लव से जलधि हो गया |


डॉ नूतन गैरोला - २८ -०३-२०११

32 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये जल और जलन भी खूब रही

जंजल, -- इसका सही अर्थ नहीं समझ पायी ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर मुक्त लिखा है आपने!

मनोज कुमार said...

अनुप्रास की छटा देखते बनती है।
अद्भुत प्रयोग।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 29 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.blogspot.com/

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...
This comment has been removed by the author.
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Dhanyvaad Sangeeta ji... janjal kaa matlab "useless" or "old tattered

=":)"

Er. सत्यम शिवम said...

जल और जलन...जलन के जलन को नहीं
बुझा पाता है जल...खुबसुरत भाव,,,सुंदर रचना।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Shastri ji dhanyvaad...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

manoj ji ..dhanyvaad ...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Sangita ji punah shukriya ..meri rachnaa ko manch me jagah dene ke liye... abhaar

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

dhanyvaad Satyam ji..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर बिम्ब ...सुंदर रचना ....

Anupama Tripathi said...

वाह शब्दों का बहुत खूबसूरत तानाबाना -
बहुत सुंदर रचना -
बधाई.

रश्मि प्रभा... said...

जल कर हम तब जलाशय पर गिरे,
जलन ना गयी जलजला आ गया|
waah nutan ji

Sushil Bakliwal said...

सुन्दर रचना.

कुछ-कुछ चाचा ने चाची को चांदी की... टाईप की भी लगी ।

बाबुषा said...

Very nice use of alliteration ! We often see alliteratin in english literature too.. Loved the poem!

Udan Tashtari said...

अनुप्रास अलंकार का बेहतरीन प्रयोग...

गिरधारी खंकरियाल said...

जलद उठे जलप्रपात बहे,
अश्रुजलविप्लव से जलधि हो गया |
भाव और अलान्करिकता ने चार चाँद लगा दिए है

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

50 में से 22 शब्द अनुप्रास अलंकार के साथ| एक डिफरेंट टाइप की कविता| बधाई नूतन जी|

S R Bharti said...

जंजाल जी का जबसे जाना मुझे जंजल,
जड़ता से तेरी जला जी का जंगल |
जल कर हम तब जलाशय पर गिरे,
जलन ना गयी जलजला आ गया|
जल में खिले जलज सब जले,
जिया जल का जला, जल, जलजल गया|
जलद उठे जलप्रपात बहे,
अश्रुजलविप्लव से जलधि हो गया |
बहुत सुंदर रचना .........बधाई.

monali said...

Bahut khoob.. ur Hindi vocabulary is superb.. i salute u.. Anupras alankaar ka sundar example :)

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.
बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.

महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.

sumeet "satya" said...

उलाहना और विरह का मार्मिक चित्रण ...................
अनुप्रास अलंकार का बहुत दिनों बाद अद्भुत प्रयोग देखा
बेहतरीन रचना...........................

ganesh lohani said...

Dr sahiba,
pranam aap bhut achhi poet,writer hen apki kavita dill ko jhkhjhorne wali hen.sath sath matri sewa kar rahi.with regard.

Vishal said...

Bohot sunder rachna. Padh kar bohot achha laga!

Dr (Miss) Sharad Singh said...

आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....

amrendra "amar" said...

waah bahot sunder likha hai aapne aur utna hi sunder hai aapka blog, badhai

Kavita Prasad said...

जल कर हम तब जलाशय पर गिरे,
जलन ना गयी जलजला आ गया|

achhi panktiyaan hain...

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

Vandana Ramasingh said...

अश्रुजलविप्लव से जलधि हो गया |....
अनुप्रास देखने योग्य बन पडा है

KASA said...

यह कविता अच्छी है। बहुत अच्छी। नूतन की तमाम कविताएं देखी हैं इसलिए भी कहा जा सकता है-ये बेहतर रचना है। लेकिन जीवन के जलाशय में डूबने से बचने के लिए कविता के अलावा भी बहुत कुछ चाहिए।

KASA said...

यह कविता अच्छी है। बहुत अच्छी। नूतन की तमाम कविताएं देखी हैं इसलिए भी कहा जा सकता है-ये बेहतर रचना है। लेकिन जीवन के जलाशय में डूबने से बचने के लिए कविता के अलावा भी बहुत कुछ चाहिए

Post a Comment

आप भी कुछ कहें