तुमने कभी इंसान की हड्डी को देखा है    
कही भी जा दिखेगी हड्डी होती सिर्फ सफ़ेद है     
क्या बोलती है वो     
मैं हिंदू हूँ, मै मुस्लिम हूँ या कि ईसाई और सिख?
   
कभी पानी ना मिलेगा तो जानोगे प्यास होती है क्या?     
पानी मांगेगा हिंदू , मांगेगा मुसलमान, मांगेगा ईसाई और सिख|     
जख्म होगा देह में तो बहेगा खून सबका    
खून का रंग होता है लाल     
हिंदू में, मुसलमां में, ईसाई में और सिख में |     
जाना है तुमने क्या, भाई भाई का खून कभी कभी    
आपस में मिलता नहीं, रक्तदान के लिए आता है जो     
वो अनजान भाई होता है कोई हिंदू, कोई मुसलमान, कोई ईसाई या सिख |     
कभी जाना है तुमने धर्म होता है क्या पूजा होती है क्या    
सत्मार्ग दिखाये धर्म     
और भावनाये पूजा में होती हैं-     
मानवता के कल्याण की, प्रेम की सौहार्द की     
सत्मार्ग दिखाए चाहे धर्म हो हिंदू या कि मुस्लिम या ईसाई या सिख|     
फिर ये नफरत की दीवारें क्यों, लहू लहू का प्यासा क्यों |     
नूतन गैरोला .. ४ / अगस्त / २०११ १० :५२
अभी लिखी और पोस्ट की है …. बाद में एडिटिंग होगी.. 
 New Delhi Time
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13 comments:
एडिटिंग बाद में कीजिये, न कीजिये...फर्क नहीं पड़ता...
इतनी शानदार बात कही है आपने, सबको सीख लेनी चाहिए..
bahut hi acchi post
एडिट की जरुरत नहीं...सबक देने में..उम्दा!!
khoobsurat rachna
satik baat sacchi baat bahut acchi post
bahut sunder :)
sachhai bakhoobi bayan ki hai :)
जन्माष्टमी की शुभकामनायें स्वीकार करें !
और भावनाये पूजा में होती हैं-
मानवता के कल्याण की, प्रेम की सौहार्द की
बहुत खूब डा० नूतन जी ....इंसान ओर इंसान के मध्य
प्रेम ओर स्नेह की अति भावपूर्ण इबादत लिखी आपने
सादर अभिनन्दन !!!
मानवता का अलख जगाती कविता
आदमी हैं और कुछ बनने की कोशिश क्यूं करें ।
very nice..:)
बहुत सुंदर नूतन जी .... यह सभी जानते है लेकिन जान कर भी अंजान बनते है यही विडम्बना है।
आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
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जख्म होगा देह में तो बहेगा खून सबका
खून का रंग होता है लाल
हिंदू में, मुसलमां में, ईसाई में और सिख में |
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कास ये जाती धर्म की राजनीती करने वालों को इन पंक्तियों अहसास होता |
बहुत सुन्दर रचना डाक्टर साहिबा, शुभकामना |
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