जीती रही जन्म जन्म... पुनश्च
मरती रही.... मर मर जीती रही पुनः.....
चलता रहा सृष्टिक्रम...
अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः~~~~...
पेशे से डॉक्टर / स्त्री रोग विशेषज्ञ...
बहुत दुखी देखे है |...
जिंदगी और मौत की गुत्थमगुत्था -..
छटपटाता जीवन- घुटने टेकता मिटते देखा है |..
जिंदगी की जंग जीती जाए..
अमृतरस की आस है |..
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी नमस्ते ! व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ. ये जिन्न के चक्कर में कहाँ पड़ गईं आप ? आपने बिलकुल सही लिखा है ! हमारे ह्रदय में जो भी शुभ विचार आते हैं वो उस इश्वर की ही देन है . यदि हम ऐसे विचारों को माने तो कभी भी कोई आपका अहित नहीं कर सकता ! लेकिन जानते हुवे भी हम अपने थोड़े से फायदे के लिए शैतानी विचारों का समर्थन करते हैं और परिणाम स्वरुप दुःख भी उठाते हैं ! बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !! मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !!
8 comments:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
bahut sundar ,hardik badhai
sadar
laxmi narayan lahare
सकारात्मक सोच को रेखांकित करती बहुत सुन्दर रचना..आभार
बहुत सुंदर कविता डॉ० नूतन जी बधाई और शुभकामनाएं |
जब रूह ईश्वर से मिल जाती है ...जिस्म मंदिर हो जाता है ...
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी नमस्ते ! व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.
ये जिन्न के चक्कर में कहाँ पड़ गईं आप ?
आपने बिलकुल सही लिखा है ! हमारे ह्रदय में जो भी शुभ विचार आते हैं वो उस इश्वर की ही देन है . यदि हम ऐसे विचारों को माने तो कभी भी कोई आपका अहित नहीं कर सकता ! लेकिन जानते हुवे भी हम अपने थोड़े से फायदे के लिए शैतानी विचारों का समर्थन करते हैं और परिणाम स्वरुप दुःख भी उठाते हैं !
बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !!
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !!
haarna bhi nahi hai
ईश्वर का बसेरा है,
बस वही तो इक तेरा है |
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