Stop-Ur time starts here - Enjoy reading

Pages

RSS

Welcome to my Blog
Hope you enjoy reading.

Monday, January 10, 2011

मैं - एक नारी - डॉ नूतन गैरोला - १०-०१-२०११


                      400_F_663141_Q91BcvrAbur9wk3rn5OLmZWxGC9xkg
 
मैं -
बहुचर्चित
किसी उपन्यास की
सिकुड़ी सिमटी दुःख में डूबी
नायिका नहीं हूँ
मैं |
ना ही 
खाली वक़्त 
समय बिताती सखियों की
चर्चा खास की 
कथा की व्यथा हूँ
मैं |
ना ही खुद
की कलम से
लिखी जाने वाली
दर्द में डूबी कविता हूँ
मैं |
उनकी खुशी
इन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं  |


19 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ऐसी ही नारी बनी रहें ....खूबसूरती से लिखी है आज की नारी की कथा ..

word verification hatayen

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

धन्यवाद संगीता जी..

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर! शुभकामना!

रश्मि प्रभा... said...

tabhi to ... sabse alag sabse juda ...

Unknown said...

wah bahut khoob...likhte rahiye...swagat hai!!

Jai HO Mangalmay Ho

'साहिल' said...

मैं |
उनकी खुशी
इन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ

bahut khoob!sundar kavita!

Anonymous said...

पसंद करती हूँ और सम्मान भी देती हूँ मैं ऐसी 'औरतों' को.
क्योंकि????
ऐसिच हूँ मैं भी
प्यार
फिर आऊंगी जल्दी ही. अभी बच्चे आये हुए हैं अपने अपने शहर से.
हा हा हा

विजय गौड़ said...

sundar blog hai, aaj hi dekhne ka sanyog hua yuhi net pr bhatakte hue. shubhkamnain.

Patali-The-Village said...

बहुत खूब ! बहुत सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद|

Udan Tashtari said...

वाह!! बेहतरीन!!

निर्मला कपिला said...

aapakee ye haMsee banee rahe| badhaaI>

दिगम्बर नासवा said...

उनकी खुशी
इन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं ...

बेहतरीन ... काश हर कोई सब की खुशी के लिए जिए तो अपञिंखुशी तो वैसे भी हो जाएगी ... अच्छी रचना है ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.uchcharan.com/


वर्ड वेरिफिकेशन हटाएँ ...

वाणी गीत said...

सबकी ख़ुशी के लिए जीने वाली हंसमुख नारी हूँ ...
वाह !

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

नूतन जी आज की नारी की नयी परिभाषा बहुत ही सशक्त तरीके से पेश की है आपने| बधाई|

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'मैं
उनकी ख़ुशी
इन सबकी ख़ुशी
अपनों की ख़ुशी के लिए
जीनेवाली हँसमुख नारी हूँ |'

नारी का यही रूप तो सदा वन्दनीय रहा है साथ ही साथ आनंद का अजस्र स्रोत भी |

धीरेन्द्र सिंह said...

नारी के विशाल ह्रदय को आपने बखूबी दर्शाया है.

ZEAL said...

बहुत अच्छी लगी ये सुन्दर और हंसमुख नारी ।

निर्झर'नीर said...

इत्तिफाक से ही आपके ब्लॉग की गलियों में आना हुआ अभी ज्यादा तो नहीं पढ़ा लेकिन जो भी पढ़ा यक़ीनन पुरकशिश ,पुरमानी .
आप एक अच्छी शख्सियत ही नहीं अपितु एक बेहतरीन लेखिका भी है
भाव ,भाषा ,प्रवाह हर लिहाज से एक खूबसूरत कविता .. बंधाई स्वीकार करें

Post a Comment

आप भी कुछ कहें