मेरे दुश्मन तुझे सलाम
मैं जानती हूँ तुमने कभी सराहा नहीं मुझे,
मेरी पीड़ा बडती चली और और तडपाया है मुझे |
मैं धन्य हूँ तेरी के हर प्रताडनाओं से घबराई थी
मगर तेरी प्रताडनाओ ने मजबूत बनाया है मुझे |
मेरी खुशियों के रंगों में बदरंग ही दिखा तुझे,
अब इन रंगों ने इन्द्रधनुष सा रूपहला बनाया है मुझे
मैं संग तेरे चलूंगी तेरा साया बन रहूंगी पर,
तेरे गुमान ने बेतरतीबी से ठुकराया है मुझे |
जीते जी मैंने खुद को मिट्टी बना डाला था,
तेरे भरोसे पे ऐतबार ने मिटा डाला था मुझे
दुनिया से दूर तेरी ओर हो चली थी मै,
मुझको धकेल तुने ईश्वर की राह पे पहुँचाया है मुझे |
तेरे कदम पर कदम रख चल रही थी मैं,
खुद के निशान न थे इस धरती पे कहीं,
मेरे कदम अब बढ चले है यूं अकेले,
एक एक कदम ने अब पदचिन्ह बनाया है मेरा |
रेत में क्या मिटटी पे ही नहीं,
कठोर पत्थरों पर भी चिन्हित मेरे निशानों ने,
मेरी पहचान को बचाया ,अस्तित्व ही नहीं
दुनिया के लिए इक रोशन दीप बनाया है मुझे |
बुझ जाऊंगी जिस दिन वो दिन आखिरी होगा,
दुवा दूंगी तुझे और तिमिर को मिटाती जलती रहूंगी उम्र भर ...
... नूतन