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Monday, December 20, 2010
शुभकामनाएं - आपको ... नूतन
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Sunday, December 19, 2010
मेरे दुश्मन तुझे सलाम
Monday, November 15, 2010
हम भी कभी बच्चे थे | बाल दिवस के अवसर पर |
बचपन के संस्मरण आज बाल दिवस पर मैं अपने बचपन के एक दो किस्से आप सभी से शेयर कर रही हूँ | क्यूंकि हम भी कभी बच्चे थे | |
बालमन - कही देखा सर्कस में रस्सी पर झूलती लड़की- मैंने चाहा की मै भी उस लड़की के जैसा कारनामा करूँ |तब में LKG में पढ़ती थी | उम्र लगभग तीन साल से चार साल के बीच | माँ ने हम दोनों बहनों को तैयार किया स्कूल जाने के लिए | मेरी कंघी पहले की और छोटी बहन के वो बाल बना ही रही थी कि मै बाहर बरामदे में आ गयी | ८-१० सीढ़ी नीचे सड़क थी और बरामदे में एक गोल स्तंभ था | उस स्तंभ के पास खड़ी नीचे सीढियाँ को देख जाने क्यों वो सर्कस के करतब याद आये .. और अपने ऊँगली में मैंने बदरीनाथ भगवान की अंगूठी देखी सोचा क्यों ना इसे खम्बे में अटका कर झूला झूलूँ जोर जोर से जैसे सर्कस में हतप्रभ करने वाले करतब देखे, उनकी तरह | और मैंने अपनी ऊँगली सीधी की और अंगूठी को खम्बे में फ़साने का जत्न करते हुवे लटक गयी और झूलने लगी - अरे ये क्या ! मै तो धडाम से उचाई से १० सीढ़ी नीचे गिर पड़ी | सीधे सीड़ी के कोने से सर जा टकराया |जाने क्यों दर्द नहीं हुवा मुझे | सड़क पर आते जाते लोग ठिठक गए | और मैंने चाहा दिखाना कि मै कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ | सीधे खड़ी हुवी और सीढ़ी की ओर मुडी |सीढ़ी चढ़ने लगी कि नजर गयी ऊपर वाली सीड़ी पर जहा पर मेरे सर से खून का फव्वारा झड रहा था |माथे के बायीं ओर से तेज खून की धारा फव्वारे के रूप में निकल रही थी|तब तो चोट की डर नहीं माँ की डांट के डर से सिहरन उठने लगी | दरवाजे से अंदर पहुचते ही माँ ने मेरे चेहरे की जगह बहती खून की धारा देखी तो घबरा गयीं | हाथ से उन्होंने मेरा माथा दबाया पूछा ये क्या हो गया , कैसे हो गया .. बड़े भाईसाहब को आवाज लगाने लगी | एक साफ़ साडी को चीर कर माथे पे पट्टी बाँधी भाईसाहब और माँ ने | छोटी बहन थी घर में और माँ ने किचन में खाना भी चढाया था अतः भैया को आवश्यक हिदायत दे कर खुद मुझे गोद में ले बहुत तेज क़दमों से पास के क्लिनिक, जो की शायद आधा किलोमीटर दूर था ले गयी| मैं माँ की गोद में थी और मेरा सर माँ के कंधे पर था ,माँ के खुले बालो से टपकता खून मुझे आज भी दिखाई देता है| दौड़ती भागती माँ डॉक्टर के पास पहुची तो डॉक्टर किसी अन्य केस में व्यस्त था और मेरा इलाज शुरू होने में देर हो गयी | जब मेरा नंबर आया तो डॉक्टर को टांके मारने /सिलने के लिए सुई ही नहीं मिली | और कहा कि सई लाने तक बच्ची के शरीर से काफी खून बह जायेगा| अतः उन्होंने मेरे घाव की पेकिंग कर दी और ऊपर से पट्टी कर दी | जिसकी वजह से उस समय मेरा खून तो रुक गया पर मेरे माथे पर एक गहरी चोट का निशान रह गया |अब आई पूछताछ की बारी, जब शाम को घर पे पूछा गया कि कैसे गिरी | मेरी गिग्घी बंध गयी| ऐसा लगा कि इस तरह से झूला झुलना और मूर्खता करना अपराध था |जाने कौन सा भय मुझे कचोटने लगा कि मार अब पड़ी तब पड़ी| और भय में मैंने अपने को बचाने की एक युक्ति निकली | कह दिया किसी ने मेरा हाथ खिंचा था | ये कहना क्या था कि माँ डर गयी | बोली किसने खिंचा था बता | याद कर | कहने लगे सूरत किस से मिलती जुलती थी | अब तो झूठ बोल चुकी थी अब बचने की और सूरतें भी खतम हो गई| कह दिया कोई देखा देखा सा है | पूछा किसके जैसा उस बच्ची ने कहा दूध वाले के बेटे जैसा | बोला कि झूट तो नहीं बोल रही है | वैसे झूठ बोलना आदतों में सुमार ना था| झूट बोला मैंने कांपते दिल से| कुछ कुछ उसके जैसा था | नहीं चाहती थी कि बात आगे बढे पर बात थी कि रुकी नहीं | और उस छोटी बच्ची को अगले दिन दूध वाले के घर ले जाया गया | धुंधली यादें है कि आँगन में उनके बच्चे खड़े थे और मैं माँ से चिपकी रो रही थी अब डर था कि उन बच्चो को मेरी वजह से मार न पड़े | जब जब वो पूछे की पहचानो मैं और डर कर जोर जोर से रोने लगती | आखिरी में दो तीन बच्चो के बीच मैंने कहा कि इनके जैसा था पर ये नहीं और उन बच्चो को भी राहत मिल गयी | उस दिन का वो झूठ जो अनायास बोला, मै जिंदगी भर झूठ बोलने से डर गयी | तीन साल की थी डर ऐसा व्याप्त था कि इसे कभी भुला नहीं सकी | मै खुद को उन बच्चो का गुनाहगार मानती रही और ये सर की चोट सदा याद दिलाती रही हादसे की और आज भी मुझे झूठ से सख्त नफरत है | |
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अरे ! वो जलते दीये किसने बुझा दिये हैं ?.. वह वृद्धा उस झोपडी में उस घुप्प अन्धकार में ? जिसने कल्याण किये हैं ..|| वो अट्टालिका वो इमारते जगमगाती रोशनी है जिसमे, असंख्य विद्युत बल्ब हैं , पराया रक्त चूस कर जिसमें || वह वृद्धा उस अन्धकार में उठती कुछ टटोलती | गोद में ले एक रोग पीड़ित परोपकार का बच्चा || उठती वह खांस कर, कुछ कदम लड़खड़ा कर | वापस लौट आती है वो इमारत में झाँक कर || आज अब वो झोपड़ी निरंग और सुनसान है | बुढ़िया का न बच्चे का उस झोपड़ी में कहीं नाम और निशान है || काश !ऐ इमारत वालो तुम में कुछ दया भाव होता | तुमने बंद खिड़की को खोल कुछ प्रकाश पुंज बिखेरा होता | तो आज इस धरती पर एक पवित्र आत्मा का तो निवास होता || द्वारा .. Miss Nutan Dimri / डॉ नूतन गैरोला |
Saturday, October 9, 2010
10 / 10/ 10 10:10 after 1000 years...शुभप्रभात ....
अब क्या हुवा ..कुछ ख़ास नहीं... रिश्तेदारी थे..ननद और उनके पतिदेव .. भतीजे भतीजी ( सौरभ और सुच्ची ).. और बहन के परिवार वाले ( दिप्पी के जेठ जी घिल्डियाल जी और साथ में देहरादून के अभियंता )तो दिन मिलने मिलाने में अच्छा गुजरा .. जल्दी में लिखा ..क्यूंकि १२:00 रात्री हो गयी है .. बाई बाई .... स्वागत है नए दिन का ११ / १० /2010
Welcome 11 / 10/2010
Friday, October 8, 2010
नवरात्रि पर मंगल कामनाओ के साथ...
आज व्रत है .. सुबह जौ उगाये .. पाठ किया - नर्सिंग होम में संतोषजनक काम किया .. सुबह नेट पर ऍफ़ बी खोलते ही कॉल लग गयी थी .. अभी नेट पर हूँ..
Wednesday, October 6, 2010
मासूम सब्जीवाला
मै महंगाई की बात नहीं कर रही हूँ - सब्जी बेचने वाले बच्चे की मासूमियत की बात कर रही हूँ जिसको उसके पिता थोड़ी देर के लिए दुकान में बिठा कर और सब्जी के भाव बता कर गए थे.. शाबास शाहबाज - कल का दिन उसके नाम रहा -हँसतें हँसते -- :))
कल ही की बात है | मैं बाजार सब्जी खरीदने गयी यूं तो बाजार मैं नहीं जाती चुंकि रास्ते बहुत अधिक बारिश होने से बंद हो गए है और ४-५ दिन से दूध दही और सब्जियां नहीं | सो मैंने निश्चय किया की बाजार में जाकर देखूं की क्या क्या विकल्प है जो सब्जी के स्थान पर काम आ सकते है | शायद एक गाड़ी सब्जी की किसी तरह से बाजार में आई थी और सब्जियों का दाम मन मुताबिक | मैं अच्छी ताज़ी सब्जी और सही कीमत पर देखने आगे निकल गयी मेरे साथ हमारा ड्राईवर भी था | थोड़ी दूरी एक जगह सड़क पर साफ़ आलू दिखाई दिए में रुकी और देखा एक छोटा बच्चा उम्र करीब ९ साल बैठा है सामने दो टोकरी आलू एक टोकरी टमाटर और एक टोकरी प्याज थे उसके पास | शायद उसके पिता जी खाना खाने गए थे उसे बैठा के और सब्जी का हिसाब बता के | छोटा बच्चा हमें देख कर थोडा झेपा सा तभी एक उम्रदार महिला तेजी से आई और बच्चे को बोली - ओ भैया ! कितने का दे रहा है आलू ? वह बोला ४० रुपया किलो | औरत बोली फिर तू बैठा रह यही और इन आलूवों चली गयी | मैंने उस औरत को देखा फिर बच्चे को, बच्चा घबराया सा था |
मै मुस्कुरायी और बोली बेटा टमाटर कितने के दिए | वह बोला ३० रुपया किलो | मैंने बोला एक किलो टमाटर लेने है और और टमाटर छान के उसके तराजू में रख दिए| एक किलो तोल कर उसने लिफ़ाफ़े में डाल दिए | मैंने सौ रूपये का नोट उसकी ओर बढाया| यह देख कर वो बगल की दुकान में बैठे एक लड़के को, जो कि कोई कहानी पढने में तल्लीन था, कि और मुखातिब हो गया और चिल्लाने लगा भाई साहब, भाई साहब..... भाईसाहब बाजार के हल्ले के बीच में कहानी में खोये हुवे , कुछ सुनाई न दिया और वो भाईसाहब भाईसाहब चिल्लाता रहा | मैंने कहा तुम अपने पैसे काट लो | उसने कहा रुको - फिर उसने जा कर उस लड़के को हिलाया और कहा भाईसाहब भाईसाहब - टमाटर तो ३० रूपये किलो है इन्होने एक किलो टमाटर लिए है ? इनसे कितने पैसे लूं ? मेरे हँसते हँसते बुरा हाल हो गया की दुकान चलाने बैठा ये बच्चा कीमत तो जानता है, रेट क्या है पर एक किलो का दाम बताने में असमर्थ है | फल वाला झुंझलाया बोला ३० रूपये | तब मैंने कहा बेटे ३० रूपये किलो का मतलब एक किलो सब्जी ग्राहक तुम से लेगा तो ग्राहक से तुमेह ३० रूपये लेना होगा | फिर मैंने कहा एक किलो आलू भी दे दो - आलू कितने रूपये किलो है ? वह बोला ४० रूपये किलो | तो मैंने कहा एक किलो आलू लुंगी कितना पैसे ओगे - अब कि बार बड़ी समझदारी से बोला ४० रूपये | मै मुस्कुरायी बोली तो हां एक किलो आलू तोल दे |उसने बर्तन मेरी ओर बढाया | मैंने अंदाजन एक किलो लिए उसने तोला तो वह जयादा निकला - मैंने सोचा दो किलो तो ले जाने ही थे | फिर मैंने कहा कोई बात नहीं तू डेड किलो तोल ले| लेकिन वो अनसुनी कर आलू तराजू से नीचे फैंकने लगा |मैंने कहा छोटू तू आधा किलो और ज्यादा तोल दे - ५०० का वाट और बड़ा दे तोल में लेकिन वो चाहता ही नहीं था की उस से कोई एक किलो से जयादा ले... मुझे बच्चे के दिमाग की उथल पुथल समझ आ गयी... वो डरा हुवा था की एक किलो का दाम तो वो जानता है किन्तु ढेड किलो की कीमत कैसे बताएगा.. मैंने उसकी परेशानी सुलझा दी और उसे बताया की साठ रूपये आलू के अब उसको मैंने देने है... बस अब जब भी सोचती हूँ की मासूम दुकानदार.. उसकी सूरत याद आ रही है.... जो प्रति किलो टमाटर की कीमत बता सकता था किन्तु एक किलो टमाटर के दाम नहीं बता सकता था .. फिर भी वो अपने पिता की मदद के लिए बैठा था यही बहुत बड़ी बात थी |
Sunday, October 3, 2010
Yesterday , - 2/ oct / 2010 , there were discussions on ultrasonology n newrer techniques applied in usg for detecting in utero foetal conditions and than m/m,
Dr Prashant Acharya , Dr Anita Kaul Apollo, Dr P Acharaya, Dr Mandakini Pradhan ( Proff /HOD SG PGI -working on Medical Genetics and reaserch papers,articles , books published - received many awards ) , Dr Ashok Khuarna,( Famous Ultrasonologist Director, Senior Fetustician and Consultant in Genitourinary and Vascular Ultrasound and Director at the institute of fertility fulfilment Reaserch, Greater Kailash, ND )
DR T. Patnaik ( Obst and Gynae Of Dehradun ) Dr Harish Bhatiya ( HOD- Medical College Barelly )on the topic birth defects overview, 11-14 weeks scan with chemical markers, preventive Strategies and invasive procedures, Diagnosed Birth defects , what next? understanding Biochemical markers, 2nd trimester USG with soft markers including Doppler Respectively..There was live demo of usg ANC.
I gifted Token of thanks n bouquet to Dr Ashok Khurana , Dr T. Patnaik. Dr Harish Bhatiya.
मैं डॉ बीना नेगी, डॉ वैष्णवी पुरोहित , डॉ मैथानी , डॉ रीता गोयल, के संग यादे ताजा .. पुरानी बाते की डॉ मंजू काला, डॉ मीनू वैश, डॉ अनुधीर, डॉ चौरसिया, डॉ रुक्मणी, डॉ रावल , डॉ मनीषा सिंह , डॉ मंजू नवानी, डॉ शालिनी सूरी, डॉ अर्चना लूथरा, डॉ प्रोमिला सोरुन्वाला, डॉ आदि से भी मुलाकात हुवी |
रात्री को केट वाल्क था | महिला डॉ खूब जमें केट वाल्क में | अच्छी रही केट वाल्क - बड़ी मुश्किल से डॉ लोग आये |सीनियर डॉ के बेटे और बेटिया भी थी साथ में अपनी माताओं के स्टाइल से हाथ पकड़ कर .. और बच्चो के गाने भी |
किन्तु मन मित्र प की चोट की खबर से दुखी हुवा |
रात्री को म ( मेरा प्यारा बेटा )अपने मित्र मयंक के साथ घर पे था
आज :-
आज जल्दी जल्दी नाश्ता तैयार किया म और उसका मित्र नाश्ता कर के चले गये.. म हॉस्टल गया | दुःख हुवा पर वो चलता है - क्यूंकि उसका भविष्य है |
Than I reached to the venew where gynae workshop was going ओं..
AIIMS kee gynae $ obs की HOD Dr Alka kriplani , Apollo ke urogynaecologist DR Ajit Saxena , Bariatric surgeon Apollo Hospital ND Dr Ajay Kripalani , Dr Tapan Bhattacharaya ( H O D Obst $ Gynae deptt SRMS medical College ), Dr Poonam Goel (HOD Govt Medical College Chandiggarh ) Dr Nutan Jain ( vardhmaan Hospital - Muzaffarnagar ) Dr Jaya Chaturvedi ( HOD HIMS Jolly Grant ) they speak on the topic m/m of congenital mlformation of genital tracts in young girls, M/m of genital tracts malformations in young girls, current concept of surgical m/m of obesity, experts on prevention of Cervical cancer , recent advances in PIH, laproscopic m/m of extensive Endometriosis and Laprosopic mayomectoy respectively. on 3 / oct / 2010
They were followed by chairpersons... a big list so i m not mentioning the list :)
लंच कोफेरेंस में ही किया और फिर लेक्चर सुने . कुछ स्टाल से नए वेक्सिनेसन के बारे में जाना .सर्विकल कैंसर के लिए वेक्सिनेसन का सी डी लिया . .. शाम की चाय मिस हो गयी .. डॉ रीता गोएल मुझे घर छोड़ने आयीं .. घर में आज कोई नहीं .. अकेलापन .. बेटा भी आज ही तो हॉस्टल गया .. मन तो लगाना है .. चलिए देखती हूँ काम करने की क्या क्या गुन्जाईस है .. किचेन आदि .. क्या क्या बनाया जा सकता है डिनर में .. सोचती हूँ जल्दी सो जाऊं ..पर नींद आये तो...
Wednesday, September 29, 2010
On the Path of Memories -- Dr Nutan (NiTi)
Effort to have victory, and disease to fight
Learnt my lessons, thats all that i had